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“मेष लग्न और मंगल का भाव अनुसार विश्लेषण”

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“मेष लग्न और मंगल का भाव अनुसार विश्लेषण”

मेष लग्न में मंगल को लग्नेश (स्वामी) ग्रह माना जाता है, क्योंकि मंगल मेष राशि का स्वामी है। इसका प्रभाव मेष लग्न में प्रत्येक भाव में अलग-अलग तरीके से फल प्रदान करता है। यहाँ मेष लग्न में मंगल के हर भाव में फल का विवरण दिया गया है:


1. प्रथम भाव (लग्न):

  • फल: मंगल यदि लग्न में हो तो जातक साहसी, ऊर्जावान, और आत्मविश्वासी होता है। वह नेतृत्व क्षमता रखता है और शारीरिक रूप से मजबूत होता है। यह स्थिति जातक को आक्रामक बना सकती है, लेकिन यदि मंगल शुभ हो तो यह ऊर्जा सकारात्मक होती है।

2. द्वितीय भाव (धन भाव):

  • फल: मंगल धन अर्जित करने में सहायता करता है। लेकिन जातक का वाणी में कठोरता हो सकती है। पारिवारिक जीवन में तनाव की संभावना रहती है। मंगल यहाँ वाणी और धन के मामले में संघर्ष उत्पन्न कर सकता है।

3. तृतीय भाव (पराक्रम भाव):

  • फल: मंगल यहाँ बहुत शुभ होता है। जातक साहसी, मेहनती और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त करने वाला होता है। भाई-बहनों से अच्छा संबंध हो सकता है। जातक साहसिक कार्यों और यात्रा में रुचि रखता है।

4. चतुर्थ भाव (सुख भाव):

  • फल: मंगल यहाँ सुख-सुविधाओं में कमी का संकेत देता है। भूमि, वाहन, और घर से संबंधित मामलों में लाभ हो सकता है, लेकिन पारिवारिक सुख में कमी रह सकती है। माँ के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है।

5. पंचम भाव (विद्या/संतान भाव):

  • फल: मंगल यहाँ शिक्षा और प्रेम संबंधों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जातक में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की योग्यता होती है, लेकिन ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है। संतान के साथ संबंध अच्छे हो सकते हैं।

6. षष्ठ भाव (रोग/शत्रु भाव):

  • फल: मंगल यहाँ शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला होता है। जातक में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

7. सप्तम भाव (विवाह भाव):

  • फल: मंगल यहाँ वैवाहिक जीवन में संघर्ष ला सकता है। मंगल दोष (मांगलिक दोष) का प्रभाव हो सकता है, जिससे जीवनसाथी के साथ तनाव की संभावना रहती है। विवाह में देरी या समस्याएं हो सकती हैं।

8. अष्टम भाव (आयु/गुप्त भाव):

  • फल: मंगल यहाँ जातक को जोखिम उठाने की क्षमता देता है, लेकिन दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य समस्याओं से सतर्क रहना चाहिए। यह स्थिति गुप्त ज्ञान और शोध में रुचि उत्पन्न करती है।

9. नवम भाव (भाग्य भाव):

  • फल: मंगल यहाँ भाग्यशाली बनाता है। जातक को धर्म और उच्च शिक्षा में रुचि होती है। जीवन में बड़े प्रयासों से सफलता मिलती है। यात्राओं से लाभ हो सकता है।

10. दशम भाव (कर्म भाव):

  • फल: मंगल यहाँ कर्म क्षेत्र में उन्नति प्रदान करता है। जातक नेतृत्व की क्षमता रखता है और उच्च पद प्राप्त कर सकता है। व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।

11. एकादश भाव (लाभ भाव):

  • फल: मंगल यहाँ आर्थिक लाभ और दोस्तों से सहयोग देता है। जातक के पास धन कमाने के कई साधन हो सकते हैं। यह स्थिति आकस्मिक लाभ दिलाने वाली होती है।

12. द्वादश भाव (व्यय भाव):

  • फल: मंगल यहाँ व्यय बढ़ाता है। स्वास्थ्य पर खर्च हो सकता है। विदेश यात्रा का योग बनता है। खर्चे नियंत्रित करना कठिन हो सकता है, लेकिन मंगल शुभ हो तो विदेश में लाभ हो सकता है।

सारांश:

मेष लग्न में मंगल जातक की ऊर्जा, साहस, और पराक्रम को बढ़ाता है। हालांकि, मंगल की स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ संबंधों के आधार पर इसका प्रभाव शुभ या अशुभ हो सकता है। शुभ मंगल जीवन में उन्नति देता है, जबकि अशुभ मंगल संघर्ष बढ़ा सकता है।

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