राजयोग किसी कुंडली में ग्रहों की स्थिति, उनकी युति (साथ होना), दृष्टि (देखना), या भावों में स्थिति के आधार पर बनते हैं। नीचे प्रत्येक राजयोग के बनने की स्थिति और उनके प्रभाव का विवरण दिया गया है:
1. लक्ष्मी योग
कैसे बनता है?
जब लग्न या केंद्र में शुभ ग्रह (बुद्ध, गुरु, शुक्र) स्थित हों और कोई पाप ग्रह बाधा न डाले।
प्रभाव: धन-समृद्धि और सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है।
2. गजकेसरी योग
कैसे बनता है?
जब चंद्रमा से केंद्र में गुरु स्थित हो।
प्रभाव: बुद्धिमत्ता, नेतृत्व और समृद्धि प्रदान करता है।
3. रूचक योग
कैसे बनता है?
जब मंगल अपनी स्वराशि (मेष या वृश्चिक) या उच्च राशि (मकर) में केंद्र में हो।
प्रभाव: साहस, शक्ति और नेतृत्व क्षमता।
4. भद्र योग
कैसे बनता है?
जब बुध अपनी स्वराशि (कन्या या मिथुन) में केंद्र में हो।
प्रभाव: व्यवसाय में सफलता और कुशाग्र बुद्धि।
5. शश योग
कैसे बनता है?
जब शनि अपनी स्वराशि (मकर या कुंभ) या उच्च राशि (तुला) में केंद्र में हो।
प्रभाव: शक्ति, संपत्ति और प्रतिष्ठा।
6. हंस योग
कैसे बनता है?
जब गुरु अपनी स्वराशि (धनु या मीन) या उच्च राशि (कर्क) में केंद्र में हो।
प्रभाव: धार्मिक प्रवृत्ति और समाज में मान-सम्मान।
7. मालव्य योग
कैसे बनता है?
जब शुक्र अपनी स्वराशि (वृषभ या तुला) या उच्च राशि (मीन) में केंद्र में हो।
प्रभाव: सुंदरता, ऐश्वर्य और सुख।
8. विपरीत राजयोग
कैसे बनता है?
जब पाप ग्रह (राहु, केतु, शनि, मंगल) कमजोर स्थिति में हों और शुभ ग्रह मजबूत हों।
प्रभाव: प्रतिकूल परिस्थितियाँ अनुकूल बनती हैं।
9. धरण योग
कैसे बनता है?
लग्नेश और चंद्रमा एक ही भाव में हों।
प्रभाव: दीर्घायु और स्थिर जीवन।
10. सिंघासन योग
कैसे बनता है?
जब केंद्र और त्रिकोण भावों में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: राजकीय पद और सत्ता।
11. श्रीनाथ योग
कैसे बनता है?
लग्नेश और नवमेश में शुभ ग्रहों की युति या दृष्टि हो।
प्रभाव: धन और यश।
12. चतुःसार योग
कैसे बनता है?
जब चारों केंद्रों में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: सभी कार्यों में सफलता।
13. केदार योग
कैसे बनता है?
कुंडली में चारों त्रिकोण में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: धार्मिक और परोपकारी स्वभाव।
14. चामर योग
कैसे बनता है?
लग्नेश और दशमेश के शुभ स्थिति में होने से।
प्रभाव: समाज में प्रतिष्ठा।
15. पराशर योग
कैसे बनता है?
जब गुरु और शुक्र केंद्र में हों।
प्रभाव: बुद्धिमत्ता और यश।
16. आदित्य योग
कैसे बनता है?
सूर्य और चंद्रमा केंद्र में हों।
प्रभाव: नेतृत्व क्षमता।
17. बुधादित्य योग
कैसे बनता है?
जब बुध और सूर्य एक ही भाव में हों।
प्रभाव: कुशाग्र बुद्धि और प्रसिद्धि।
18. चंद्र मंगल योग
कैसे बनता है?
चंद्रमा और मंगल की युति हो।
प्रभाव: धन और संपत्ति।
19. कालराजयोग
कैसे बनता है?
केंद्र और त्रिकोण में मजबूत ग्रह हों।
प्रभाव: दीर्घायु और साहस।
20. दरिद्र भंग योग
कैसे बनता है?
जब कुंडली में पाप ग्रहों के साथ शुभ ग्रह स्थिति सुधारें।
प्रभाव: दरिद्रता का अंत।
21. प्रजापति योग
कैसे बनता है?
जब नवम भाव में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: समाज में नेतृत्व।
22. वासुमति योग
कैसे बनता है?
धन भाव में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: आर्थिक समृद्धि।
23. धन योग
कैसे बनता है?
लग्नेश और धनेश की युति हो।
प्रभाव: आर्थिक लाभ।
24. भुवन योग
कैसे बनता है?
कुंडली में केंद्र और लाभ भाव मजबूत हों।
प्रभाव: विदेश में सफलता।
25. राजलक्ष्मी योग
कैसे बनता है?
लग्न में शुक्र और लाभेश की स्थिति हो।
प्रभाव: धन और वैभव।
26. त्रिकोण राजयोग
कैसे बनता है?
त्रिकोण भावों में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: स्थिरता और सफलता।
27. केंद्र त्रिकोण योग
कैसे बनता है?
केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हों।
प्रभाव: उच्च पद और ऐश्वर्य।
28. सूर्य–मंगल योग
कैसे बनता है?
सूर्य और मंगल की युति हो।
प्रभाव: साहस और नेतृत्व।
29. गुरु–शुक्र योग
कैसे बनता है?
गुरु और शुक्र केंद्र में हों।
प्रभाव: कला और संस्कृति में सफलता।
30. राहु–केतु योग
कैसे बनता है?
राहु और केतु जब केंद्र या त्रिकोण में हों।
प्रभाव: अप्रत्याशित सफलता।
31. दरिद्र भंजन योग
कैसे बनता है?
शुभ ग्रहों की दृष्टि से पाप ग्रह कमजोर हों।
प्रभाव: समृद्धि।
32. पर्णा योग
कैसे बनता है?
जब पंचम भाव और लग्नेश मजबूत हों।
प्रभाव: उच्च पद और सम्मान।